परिचय
बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति हमेशा से चर्चा का विषय रही है। परंतु हाल ही में सामने आए कुछ मामले इस बात को उजागर करते हैं कि कई निजी अस्पताल और क्लिनिक बिना जरूरी लाइसेंस और योग्य डॉक्टरों के संचालन में लगे हैं। ऐसे अस्पतालों में बिना लाइसेंस के सर्जरी करना, खासकर महिलाओं की सिजेरियन जैसी संवेदनशील प्रक्रियाएं कराना, न केवल गैरकानूनी है बल्कि यह मरीजों के जीवन के लिए भी खतरा है।
बिना लाइसेंस वाले अस्पतालों का खतरा क्या है?
जब अस्पतालों के पास आवश्यक लाइसेंस नहीं होता और डॉक्टरों के पास सही योग्यता नहीं होती, तो मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती है। डॉक्टरों की कमी या गैरक्वालिफिकेशन के कारण गलत सर्जरी, संक्रमण, या अन्य गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। कई बार ऐसी घटनाओं में मरीजों की जान भी चली जाती है।
बिहार के हालिया मामले: प्रशासन ने किया सख्त कदम
पटना, बेगूसराय और खगड़िया जैसे जिलों में प्रशासन ने कई निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को बिना लाइसेंस के संचालित पाए जाने पर सील कर दिया है। पटना में एक ऐसे डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया जो बिना डिग्री के सी-सेक्शन जैसी ऑपरेशन कर रहा था। बेगूसराय में भी कई ऐसे अस्पताल मिले जिनके पास जरूरी पंजीकरण नहीं था। खगड़िया में भी कई नर्सिंग होम्स को सील किया गया है।
मरीजों और परिवार वालों के लिए क्या सावधानियां जरूरी हैं?
- अस्पताल या क्लिनिक में भर्ती होने से पहले वहां के लाइसेंस और डॉक्टर की योग्यता जरूर जांचें।
- डॉक्टर से उनकी शिक्षा और अनुभव के बारे में पूछने में संकोच न करें।
- किसी भी संदिग्ध स्थिति में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों को तुरंत सूचित करें।
- कभी भी बिना जांच-पड़ताल के सर्जरी करवाने से बचें।
प्रशासन की भूमिका और आगे की जरूरतें
स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि वह नियमित रूप से निजी अस्पतालों और क्लिनिकों की जांच करे। बिना लाइसेंस के संचालन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। साथ ही जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाने की भी जरूरत है, ताकि लोग स्वयं सतर्क रहें और गलत अस्पतालों से बच सकें।
