कैंसर का इलाज: डिप्रेशन की दवाएं भी करेंगी मदद, UCLA की नई रिसर्च में बड़ा खुलासा

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डिप्रेशन की दवाएं कैंसर से लड़ाई में मददगार साबित हो सकती हैं, UCLA की नई रिसर्च में खुलासा

हाल ही में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स (UCLA) के वैज्ञानिकों ने एक रोचक खोज की है, जिसमें पता चला है कि डिप्रेशन की इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं कैंसर के इलाज में भी सहायक हो सकती हैं। सामान्यतः, सेलेक्टिव सेरोटोनिन रीअपटेक इन्हिबिटर (SSRIs) नाम की ये दवाएं मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को नियंत्रित कर मूड को बेहतर बनाती हैं। लेकिन अब नई रिसर्च से पता चला है कि ये दवाएं हमारे इम्यून सिस्टम को भी मजबूत कर सकती हैं, जिससे शरीर कैंसर से बेहतर लड़ सकता है।

दरअसल, SSRIs टी-सेल्स नामक इम्यून कोशिकाओं की गतिविधि को बढ़ावा देती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह खोज इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि टी-सेल्स की सक्रियता बढ़ने से शरीर के कैंसर से लड़ने की क्षमता में सुधार हो सकता है।

इसके अलावा, इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार के कैंसर जैसे मेलानोमा, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कॉलन और ब्लैडर कैंसर से ग्रस्त चूहों पर SSRIs का परीक्षण किया। नतीजों में देखा गया कि इन दवाओं के सेवन से ट्यूमर का आकार 50% से भी अधिक कम हो गया। और जब इन्हें पहले से मौजूद कैंसर इम्यूनोथेरेपी दवाओं, जैसे इम्यून चेकपॉइंट इन्हिबिटर्स, के साथ मिलाकर दिया गया तो परिणाम और भी बेहतर मिले, कुछ मामलों में ट्यूमर पूरी तरह से गायब भी हो गए।

यह बात खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि SSRIs पहले से ही एफडीए द्वारा स्वीकृत और डिप्रेशन के इलाज में उपयोगी हैं। इसलिए इन दवाओं को कैंसर उपचार में पुनः इस्तेमाल करना न केवल लागत कम करेगा, बल्कि मरीजों तक पहुंचने का समय भी घटाएगा, जो नए कैंसर ड्रग्स विकसित करने की तुलना में काफी फायदेमंद है।

हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि यह रिसर्च अभी प्रायोगिक स्तर पर है और मुख्य रूप से पशु मॉडलों में की गई है। इसलिए, SSRIs को कैंसर उपचार के लिए सुरक्षित और प्रभावी साबित करने हेतु मनुष्यों पर व्यापक क्लीनिकल ट्रायल्स की आवश्यकता होगी। यदि भविष्य के अध्ययन इन परिणामों की पुष्टि करते हैं, तो यह तरीका कैंसर इलाज के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति ला सकता है।

अंत में कहा जा सकता है कि यह नई रिसर्च दवाओं के पुनः उपयोग की संभावनाओं को उजागर करती है और दर्शाती है कि मनोविज्ञान और ऑन्कोलॉजी जैसे अलग-अलग क्षेत्रों के बीच सहयोग से कैंसर के इलाज में बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। इससे कैंसर रोगियों के लिए नई उम्मीदें जगी हैं।

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Prashant Pathak
Prashant Pathak is a passionate journalist and digital creator who writes about politics, technology, travel, and culture with a clear, human touch. As the editor of The Ayodhya Times, he focuses on bringing real, verified, and people-centered news stories to readers. His goal is to make complex topics easy to understand and connect news with everyday life.