
अमेरिका का हवाई हमला: 37 घंटे लगातार उड़े बॉम्बर्स, हवा में हुआ रिफ्यूलिंग, ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने बने निशाना
अमेरिका ने हाल ही में एक ऐसा सैन्य ऑपरेशन अंजाम दिया जिसने दुनिया का ध्यान खींचा। अमेरिकी बॉम्बर्स (बमवर्षक विमानों) ने बिना रुके लगातार 37 घंटे की उड़ान भरी और इस दौरान हवा में ही कई बार ईंधन भरवाया। इस लंबी और रणनीतिक उड़ान का मकसद था – ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाना।
क्या था मिशन?
इस मिशन में अमेरिका के रणनीतिक बमवर्षक विमान शामिल थे, जो गुप्त रूप से लंबी दूरी तय कर सकते हैं और भारी हथियार लेकर उड़ान भरने में सक्षम हैं। इन विमानों को विशेष तौर पर बंकर-भेदी बमों से लैस किया गया था जो ज़मीन के नीचे बने ठिकानों को भी नष्ट करने की ताकत रखते हैं।
उड़ान की चुनौतियाँ
लगातार 37 घंटे तक उड़ान भरना एक तकनीकी और शारीरिक चुनौती होती है। इसे संभव बनाने के लिए रास्ते में कई बार हवा में ही ईंधन भरवाया गया। इस ऑपरेशन की योजना और निष्पादन ने अमेरिकी वायुसेना की तकनीकी क्षमता और रणनीतिक सोच को फिर से साबित किया।
क्यों किया गया ये हमला?
ईरान लंबे समय से अपने न्यूक्लियर कार्यक्रम को लेकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के निशाने पर रहा है। अमेरिका का दावा है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को हथियारों के निर्माण की दिशा में ले जा रहा है, जिसे रोकना ज़रूरी है। इसी कारण यह हवाई हमला किया गया ताकि ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को नुकसान पहुंचाया जा सके।
इसके रणनीतिक मायने
यह हमला केवल सैन्य कार्रवाई नहीं था, बल्कि एक संदेश भी था – ईरान को, और साथ ही अमेरिका के सहयोगी देशों को। यह दिखाने की कोशिश की गई कि अमेरिका किसी भी समय, कहीं भी कार्रवाई करने में सक्षम है। हालांकि, इसके चलते अमेरिका और ईरान के बीच तनाव और भी बढ़ सकता है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को थोड़ी देर के लिए पीछे धकेल सकता है, लेकिन पूरी तरह से खत्म नहीं कर सकता। इसके बाद ईरान अंतरराष्ट्रीय निरीक्षकों को बाहर कर सकता है और अपने कार्यक्रम को और गुप्त तरीके से आगे बढ़ा सकता है। क्षेत्रीय तनाव भी बढ़ने की संभावना है।
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