भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के नतीजे आ चुके हैं और NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने शानदार जीत दर्ज की है। अब वे भारत के नए उपराष्ट्रपति बन गए हैं। यह चुनाव कई मायनों में खास रहा क्योंकि इस बार विपक्ष ने भी कड़ा मुकाबला दिया, लेकिन अंत में NDA का पलड़ा भारी पड़ा।
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
सी.पी. राधाकृष्णन तमिलनाडु के सीनियर नेता हैं और लंबे समय से बीजेपी से जुड़े हुए हैं। राजनीति में उनका अनुभव बहुत गहरा है। वे कई बार सांसद रह चुके हैं और हाल ही में झारखंड के गवर्नर पद पर भी सेवा दे चुके थे। एक ईमानदार और सुलझे हुए नेता की छवि के कारण उन्हें NDA ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया और उनकी जीत ने साबित कर दिया कि पार्टी का दांव सही बैठा।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 के नतीजे
इस चुनाव में NDA और विपक्ष दोनों ने पूरा जोर लगाया। राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा लिया। मतदान के बाद जो रिज़ल्ट आया, उसमें NDA उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की। विपक्ष के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को अपेक्षित समर्थन नहीं मिल सका और वे पीछे रह गए।
CP राधाकृष्णन (NDA उम्मीदवार): 452 वोट
B. Sudershan Reddy (INDIA ब्लॉक उम्मीदवार): 300 वोट
वॉट्स की तुलना में अंतर: 152 वोट
कुल वोट डाले गए: 767, जिसमें 752 वैध और 15 निरस्त (invalid) रहे
रिज़ल्ट के बाद ही सोशल मीडिया पर #VicePresidentElection2025 और #CPRadhakrishnan जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। लोग इस जीत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और NDA के लिए एक बड़ी राजनीतिक सफलता मान रहे हैं।
उपराष्ट्रपति का रोल क्यों अहम है?
बहुत से लोग यह सवाल करते हैं कि उपराष्ट्रपति का काम आखिर क्या होता है। असल में उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद है। वे राज्यसभा के सभापति होते हैं और सदन को सुचारू रूप से चलाना उनकी जिम्मेदारी होती है। इसके अलावा, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कई अहम जिम्मेदारियां उपराष्ट्रपति पर आ जाती हैं।
इसलिए, इस पद पर एक अनुभवी और संतुलित नेता का होना बहुत जरूरी होता है। सी.पी. राधाकृष्णन की जीत इसी वजह से और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
NDA की रणनीति सफल रही
NDA ने इस चुनाव को लेकर पूरी तैयारी की थी। बीजेपी के साथ-साथ उसके सहयोगी दलों ने भी एकजुट होकर वोट दिया। यही वजह रही कि विपक्ष की कोशिशें बेअसर हो गईं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस जीत से NDA को आने वाले लोकसभा चुनावों में भी फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे यह संदेश गया है कि गठबंधन मजबूत है और अंदरूनी मतभेद कम हैं।
विपक्ष की चुनौती क्यों कमजोर पड़ी?
विपक्ष ने सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था। शुरुआत में लगा कि मुकाबला दिलचस्प होगा, लेकिन जैसे-जैसे वोटिंग का समय नज़दीक आया, विपक्षी पार्टियों में मतभेद साफ दिखने लगे। कुछ दलों ने वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया, तो कुछ ने NDA उम्मीदवार को ही सपोर्ट कर दिया। यही वजह रही कि विपक्ष का गणित बिगड़ गया और नतीजा साफ तौर पर NDA के पक्ष में गया।
लोगों की उम्मीदें
अब जब भारत को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है, तो लोगों की उम्मीदें भी बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि वे चाहते हैं कि सी.पी. राधाकृष्णन संसद को बेहतर तरीके से चलाएं और राज्यसभा में स्वस्थ बहस को बढ़ावा दें।
वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि उनका अनुभव और शांत स्वभाव इस पद के लिए बिल्कुल उपयुक्त है।
निष्कर्ष
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 का रिज़ल्ट साफ कर गया कि NDA अभी भी भारतीय राजनीति में मजबूत स्थिति में है। सी.पी. राधाकृष्णन की जीत न सिर्फ NDA के लिए बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आने वाले सालों में वे राज्यसभा और संवैधानिक प्रक्रियाओं में अहम भूमिका निभाएंगे।
भारत के नए उपराष्ट्रपति के रूप में उनसे जनता को बड़ी उम्मीदें हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे इन जिम्मेदारियों को कैसे निभाते हैं।

