भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर 2025 की मौद्रिक नीति समीक्षा में बड़ा निर्णय लिया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने रेपो रेट को 5.50% पर यथावत रखने का ऐलान किया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब देश की अर्थव्यवस्था महंगाई और वैश्विक दबाव दोनों से जूझ रही है।
आरबीआई का मानना है कि मौजूदा हालात में ब्याज दरों में बदलाव करने के बजाय स्थिरता बनाए रखना ज़्यादा ज़रूरी है, ताकि महंगाई नियंत्रित रहे और विकास दर पर असर न पड़े।
🔹 रेपो रेट क्या है और क्यों ज़रूरी है?
रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर बैंक, रिज़र्व बैंक से अल्पकालिक लोन लेते हैं।
- जब रेपो रेट बढ़ता है 👉 बैंक महंगा कर्ज लेते हैं और आम लोगों को भी होम लोन, कार लोन महंगे पड़ते हैं।
- जब रेपो रेट घटता है 👉 बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है और आम जनता को कम ब्याज दर पर लोन उपलब्ध होता है।
यानी रेपो रेट सीधा असर डालता है आपकी EMI और उद्योग जगत के निवेश पर।
🔹 मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक
आरबीआई की नीतिगत दरों पर फैसला करने का ज़िम्मा मौद्रिक नीति समिति (MPC) का होता है।
- इस समिति में कुल 6 सदस्य होते हैं।
- इनमें 3 सदस्य रिज़र्व बैंक से और 3 सदस्य सरकार की ओर से नामित होते हैं।
- हर 2 महीने में यह समिति बैठक करके तय करती है कि रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट और अन्य दरों में बदलाव करना है या नहीं।
🔹 मौजूदा आर्थिक परिदृश्य
भारत की अर्थव्यवस्था अभी एक नाजुक मोड़ पर है।
- महंगाई (Inflation) को काबू में रखना सरकार और आरबीआई दोनों के लिए प्राथमिकता है।
- अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें, डॉलर की मजबूती और राजनीतिक तनाव का असर भारत पर भी दिख रहा है।
- घरेलू स्तर पर त्योहारों का मौसम और ग्रामीण खपत में सुधार अर्थव्यवस्था को मजबूती दे रहे हैं।
🔹 मौद्रिक नीति का नया फैसला
- रेपो रेट: 6.50% पर स्थिर
- रिवर्स रेपो रेट: 3.35%
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) और बैंक रेट: 6.75%
इसका मतलब यह हुआ कि फिलहाल ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होगा।
आरबीआई का कहना है कि यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि महंगाई को काबू में रखते हुए विकास दर पर असर न पड़े।
🔹 उपभोक्ताओं पर असर
- होम और कार लोन: फिलहाल लोन की ब्याज दरें जस की तस रहेंगी।
- EMI भुगतान: जिनके पास पहले से लोन है, उनकी ईएमआई पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं बढ़ेगा।
- नए लोन लेने वाले: नए ग्राहकों को भी मौजूदा ब्याज दरों पर ही लोन मिलेगा।
🔹 उद्योग और निवेश पर असर
- उद्योग जगत के लिए यह राहत की खबर है क्योंकि कर्ज की लागत नहीं बढ़ी।
- कंपनियों को निवेश और उत्पादन में बढ़ोतरी का मौका मिलेगा।
- विदेशी निवेशक और शेयर बाज़ार इस स्थिरता को सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।
🔹 आगे की राह
आरबीआई ने साफ कहा है कि उसकी पहली प्राथमिकता है मुद्रास्फीति को 4% के लक्ष्य के करीब लाना।
- अगर महंगाई काबू में रही तो आने वाले समय में ब्याज दरों में कटौती की संभावना है।
- अगर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल की कीमतें और डॉलर स्थिर रहते हैं तो आने वाले महीनों में उपभोक्ताओं को राहत मिल सकती है।
- ग्रामीण और शहरी खपत दोनों में सुधार से विकास दर और तेज़ होने की उम्मीद है।
🔹 निष्कर्ष
आरबीआई का यह फैसला दर्शाता है कि केंद्रीय बैंक अभी सावधानी और संतुलन की राह पर चल रहा है।
- आम जनता को ईएमआई में तुरंत राहत भले न मिली हो,
- लेकिन स्थिर रेपो रेट से उम्मीद है कि आने वाले समय में महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा और अर्थव्यवस्था को स्थिर विकास का रास्ता मिलेगा।


रेपो रेट 6.50% पर किसी तरह ठीक रहा, जैसे वॉच की दास्तां ठीक होने के बाद समय भी! आरबीआई ने बैंकों को बताया कि कर्ज लेने की बात महंगी नहीं, बस फिरने की बात महंगी है। लोग चाहते हैं राहत, आरबीआई चाहता है महंगाई पर गहरी जाँच। इस बीच EMI तो जरूर बढ़ै नहीं रहेगा, बल्कि आरबीआई की संज्ञा तो बढ़ेगी ही!Grow a Garden Pet calculator value