अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य आखिरकार अपने अंतिम चरण में पहुँच गया है। वर्षों की प्रतीक्षा, संघर्ष और श्रद्धा के बाद अब वह ऐतिहासिक क्षण आ गया है जब पूरी दुनिया की नज़रें एक बार फिर अयोध्या पर टिक गई हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने घोषणा की है कि मंदिर का मुख्य निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और अब मंदिर के शीर्ष पर ध्वजदंड और कलश की स्थापना कर दी गई है। इस धार्मिक एवं सांस्कृतिक क्षण को भव्य रूप में मनाने की तैयारी की जा रही है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं शामिल होंगे और मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराएँगे।
ध्वजदंड और कलश की स्थापना पूरी
श्रीराम मंदिर के गर्भगृह, मंडप, शिखर और परकोटे का कार्य पिछले कई महीनों से तेज़ी से चल रहा था। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार अब मुख्य ढांचा पूरी तरह से तैयार है। मंदिर के शिखर पर ध्वजदंड (वह विशाल स्तंभ जिस पर भगवा ध्वज लहराया जाएगा) और कलश (शिखर के शीर्ष पर स्थापित गोलाकार प्रतीक) दोनों को स्थापित कर दिया गया है।
इन दोनों प्रतीकों का धार्मिक दृष्टि से गहरा महत्व है। हिंदू परंपरा के अनुसार, किसी भी मंदिर का निर्माण तभी पूर्ण माना जाता है जब उसके शीर्ष पर कलश और ध्वज स्थापित हो जाएँ। कलश देवत्व और समृद्धि का प्रतीक होता है, जबकि ध्वज विजय और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। अयोध्या के इस भव्य मंदिर में ध्वजदंड की ऊँचाई लगभग 51 फीट बताई जा रही है, जिस पर विशेष पूजा के बाद भगवा ध्वज फहराया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे ध्वजारोहण
राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम 25 नवंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुँचेंगे और मंदिर के मुख्य शिखर पर ध्वज फहराएँगे। इस अवसर को ऐतिहासिक और धार्मिक दोनों रूपों में देखा जा रहा है, क्योंकि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक भी है।
प्रधानमंत्री मोदी पहले भी राम मंदिर से जुड़े कई अवसरों पर अयोध्या पहुँच चुके हैं — जैसे कि भूमि पूजन (2020) और प्राण प्रतिष्ठा समारोह (2024)। अब ध्वजारोहण का यह क्षण मंदिर निर्माण यात्रा का अंतिम चरण माना जा रहा है।
कार्यक्रम में देशभर से साधु-संत, धार्मिक संगठन, राजनीतिक नेता और लाखों श्रद्धालु शामिल होंगे। अयोध्या में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए जा रहे हैं और प्रशासन ने पूरे शहर को त्योहार की तरह सजाने की तैयारी शुरू कर दी है।
मंदिर परिसर की भव्यता और आधुनिक सुविधाएँ
राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण भारतीय पारंपरिक वास्तुकला शैली में किया गया है। मुख्य मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जिसमें लगभग 392 स्तंभ और 44 दरवाज़े हैं। गर्भगृह में भगवान श्रीराम लला की प्रतिमा स्थापित की गई है, जिसे विशेष संगमरमर से तैयार किया गया है।
मंदिर के चारों ओर विशाल परकोटा बनाया गया है, जो सुरक्षा और सौंदर्य दोनों दृष्टियों से आकर्षक है। परिसर में श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है — जैसे कि:
- दर्शन के लिए सुव्यवस्थित कतारें,
- सुरक्षा जांच केंद्र,
- विश्राम स्थल और पेयजल व्यवस्था,
- दिव्यांग जनों के लिए रैंप और सहायता केंद्र।
ट्रस्ट के अनुसार मंदिर के बाहर पार्किंग, संग्रहालय, भोजनालय, और भक्ति-थीम पार्क जैसी सुविधाएँ भी जोड़ी जा रही हैं ताकि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
अयोध्या में उत्सव का माहौल
अयोध्या शहर इन दिनों एक उत्सव स्थल में बदल चुका है। मुख्य सड़कों, मंदिरों और घाटों को रोशनी से सजाया जा रहा है। सरयू नदी के तट पर दीपों की विशेष सजावट की जाएगी, जिसे “दीपोत्सव 2025” का रूप दिया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक होगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का वैश्विक प्रदर्शन भी बनेगा।
स्थानीय दुकानदारों, होटलों और व्यापारियों में भी उत्साह है क्योंकि ध्वजारोहण के दिन लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। रेलवे, एयरपोर्ट और बस सेवाओं को भी उस दिन के लिए विशेष रूप से व्यवस्थित किया जा रहा है।
यह क्षण क्यों ऐतिहासिक है?
राम मंदिर केवल एक धार्मिक ढाँचा नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों की आस्था और धैर्य की कहानी है। इसका निर्माण कई दशकों के संघर्ष, कानूनी प्रक्रिया और जनभावना का परिणाम है। भूमि पूजन से लेकर प्राण प्रतिष्ठा तक की यात्रा में भारत ने एक नई एकता और सांस्कृतिक चेतना को देखा है।
ध्वजारोहण का यह क्षण उसी यात्रा का समापन और नए युग का आरंभ माना जा रहा है — जहाँ अयोध्या विश्व स्तर पर धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनने जा रही है।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, मंदिर निर्माण और इसके आसपास हुए विकास से अयोध्या में पर्यटन, होटल व्यवसाय और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। यह क्षेत्र आने वाले वर्षों में उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में अग्रणी स्थान प्राप्त करेगा।
निष्कर्ष
राम मंदिर का निर्माण पूरा होना केवल एक भौतिक उपलब्धि नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा के पुनर्जागरण का प्रतीक है। ध्वजदंड और कलश की स्थापना के साथ अयोध्या का यह मंदिर अब न केवल श्रद्धा का केंद्र बनेगा बल्कि राष्ट्र की एकता, गौरव और विश्वास का प्रतीक भी रहेगा।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर 2025 को ध्वजारोहण करेंगे, तब वह क्षण इतिहास के पन्नों में हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा — एक ऐसे देश के रूप में जिसने अपनी आस्था को आधुनिक विकास के साथ जोड़ा और विश्व को अपनी सांस्कृतिक शक्ति का प्रमाण दिया।