भारत “टैरिफ किंग” नहीं है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान

भूमिका

भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार को लेकर एक लंबे समय से चल रही चर्चा पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने साफ किया कि भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहना तथ्यात्मक रूप से गलत है। यह बयान उन्होंने एक ट्रेड कॉन्क्लेव में दिया, जहां उन्होंने भारत की टैरिफ नीति, निर्यात के आँकड़े, और अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के भविष्य पर खुलकर बात की।


भारत की टैरिफ पॉलिसी: सच्चाई क्या है?

सीतारमण ने स्पष्ट किया कि भारत की संसद भले ही किसी उत्पाद पर अधिकतम टैरिफ की मंजूरी देती है, लेकिन वास्तविक रूप से, सरकार जिन टैरिफ दरों को लागू करती है, वे कहीं अधिक कम होती हैं। उन्होंने कहा कि भारत में टैरिफ स्लैब को कम करके अब केवल आठ स्लैब ही रखे गए हैं, जिनमें एक स्लैब शून्य प्रतिशत दर वाला भी है।

कस्टम ड्यूटी में पिछले वर्षों में हुए सुधारों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि पहले औसत कस्टम ड्यूटी दर करीब 11.65% थी, जिसे घटाकर अब लगभग 10.66% कर दिया गया है। यह बदलाव यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक व्यापार के लिए और अधिक अनुकूल होता जा रहा है।


भारत पर ‘टैरिफ किंग’ का टैग क्यों?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा था। यह आरोप इसलिए लगाया गया क्योंकि भारत कई उत्पादों पर अधिकतम सीमा तक टैरिफ लगा सकता है। लेकिन सीतारमण ने साफ किया कि वास्तविक दरें बेहद कम हैं और भारत की नीति प्रतिस्पर्धा बढ़ाने वाली है, न कि बाधक।

उन्होंने कहा कि इस तरह के टैग केवल अनुमोदित टैरिफ रेट्स देखकर लगाए जाते हैं, न कि प्रभावी दरों का विश्लेषण करके।


निर्यात के क्षेत्र में भारत की मजबूती

वित्त मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल निर्यात $825 बिलियन तक पहुँच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 6% की वृद्धि दर्शाता है। यह उपलब्धि ऐसे समय में आई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था सुस्ती से जूझ रही है। 2013-14 में यह आंकड़ा लगभग $466 बिलियन था, यानी एक दशक में भारत ने लगभग दुगनी प्रगति की है।

उन्होंने इस सफलता का श्रेय भारत की मजबूत नीति, व्यापार समझौतों और PLI योजनाओं को दिया, जो उत्पादन और निर्यात दोनों को बढ़ावा दे रही हैं।


PLI योजनाएं और वैश्विक उत्पाद

वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजनाएं देश में मेक इन इंडिया को सशक्त बना रही हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, ऑटो, टेलीकॉम जैसे क्षेत्रों में निर्यात काफी तेज़ी से बढ़ा है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कई वैश्विक कंपनियाँ जैसे कि iPhone निर्माता अब भारत में अधिक स्थानीय वैल्यू एडिशन के साथ उत्पाद बना रही हैं। इससे न सिर्फ भारत का निर्यात बढ़ रहा है, बल्कि लाखों रोजगार भी सृजित हो रहे हैं।


वैश्विक व्यापार समझौते: भारत की रणनीति

सीतारमण ने बताया कि भारत अब वैश्विक व्यापार में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने UAE और ऑस्ट्रेलिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते पहले ही किए हैं और जल्द ही यूरोपीय देशों, अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के साथ भी समझौते पूरे हो सकते हैं।

इन समझौतों से भारत को उच्च तकनीक, वैश्विक बाजार और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण में लाभ मिलेगा।


व्यापार ढांचे में सुधार के 5 मुख्य स्तंभ

वित्त मंत्री ने यह भी साझा किया कि भारत सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए पांच प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है:

  1. परिवहन और लॉजिस्टिक ढांचे में सुधार
  2. छोटे और मध्यम व्यापारियों को समर्थन
  3. व्यापारिक ऋण की उपलब्धता बढ़ाना
  4. क्षेत्रीय व्यापारिक क्लस्टर को विकसित करना
  5. अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों के माध्यम से बाजार विस्तार

इन प्रयासों का परिणाम यह है कि भारत तेजी से वैश्विक व्यापार मानचित्र में अपनी जगह मजबूत कर रहा है।


निष्कर्ष

निर्मला सीतारमण के इस वक्तव्य से साफ है कि भारत अब केवल उत्पादन आधारित अर्थव्यवस्था नहीं रहा, बल्कि यह एक रणनीतिक और संतुलित व्यापारिक शक्ति बन चुका है। भारत की नीतियां न केवल निवेश आकर्षित कर रही हैं, बल्कि स्थानीय उद्योगों और निर्यातकों को भी मजबूत बना रही हैं।

‘टैरिफ किंग’ जैसे टैग अब भारत की वास्तविक स्थिति को परिभाषित नहीं करते। भारत एक प्रगतिशील, प्रतिस्पर्धात्मक और समावेशी व्यापार नीति अपना रहा है — जो आने वाले वर्षों में उसे वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में और आगे ले जाएगी।


सुझाव

अगर आप निर्यात से जुड़े व्यवसाय में हैं या भारत की व्यापार नीति में रुचि रखते हैं, तो आने वाले बजट, FTAs और टैरिफ सुधारों को नज़दीकी से देखना आपके लिए लाभकारी होगा।

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