देश की सियासत में उस वक्त भूचाल आ गया जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सरकार की ओर से वजह बताई गई—स्वास्थ्य कारण। लेकिन असल कहानी इससे कहीं ज्यादा गहरी लग रही है। अब इस मुद्दे पर पप्पू यादव का बयान सामने आया है, जिसने नई बहस छेड़ दी है।
पप्पू यादव ने खुलकर आरोप लगाया है कि धनखड़ ने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से खुद को अपमानित महसूस करने के बाद ही इस्तीफा दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि “धनखड़ जैसे स्वाभिमानी व्यक्ति को जिस तरह से ट्रीट किया गया, वह सहन नहीं कर पाए। उन्हें जबरन चुप रहने को कहा गया, और जब उन्होंने अपनी बात रखने की कोशिश की तो उन्हें संगठन से किनारे कर दिया गया।”
सिर्फ नड्डा नहीं, संघ का भी था दबाव
पप्पू यादव ने यह भी दावा किया कि उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के पीछे आरएसएस का भी दबाव था। उनके मुताबिक, संघ चाहता था कि धनखड़ पार्टी लाइन से बाहर जाकर कोई स्वतंत्र राय न रखें। लेकिन हाल के दिनों में धनखड़ ने अपने भाषणों में सरकार की नीतियों पर परोक्ष रूप से सवाल उठाए थे, जो संघ और बीजेपी को नागवार गुजरा।
राजनीति में गर्माहट बढ़ी
धनखड़ का इस्तीफा वैसे ही राजनीतिक गलियारों में हैरानी का विषय बना हुआ था, लेकिन पप्पू यादव के इस बयान ने मामले को और गरमा दिया है। विपक्ष ने तुरंत मौके को भांपते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा और सवाल पूछा कि “अगर सबकुछ ठीक था तो इस्तीफा क्यों?”
कांग्रेस, आरजेडी, और टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने मांग की है कि धनखड़ सामने आकर साफ-साफ बताएं कि उन्हें किन हालातों में इस्तीफा देना पड़ा।
भाजपा की ओर से चुप्पी
अब तक भाजपा ने पप्पू यादव के आरोपों पर कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया है। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि “धनखड़ ने स्वेच्छा से और स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया, इसमें कोई राजनीतिक साजिश नहीं है।” हालांकि पप्पू यादव की बातों के बाद इस दावे पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।
क्या खुद सामने आएंगे धनखड़?
अब देशभर की निगाहें धनखड़ के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या वो अपने इस्तीफे की असली वजह सामने लाएंगे? क्या वे खुलकर बताएंगे कि उनके और बीजेपी शीर्ष नेतृत्व के बीच क्या दरार आई? या फिर यह रहस्य सिर्फ कयासों में ही सिमट जाएगा?
