गणेश चतुर्थी 2025: घर पर बनाएं Easy और Eco-Friendly गणेश प्रतिमा

Ganesh chaturthi

भारत में त्यौहारों का अपना अलग ही रंग होता है। हर पर्व न सिर्फ़ हमारी आस्था से जुड़ा होता है, बल्कि परिवार और समाज को एकजुट भी करता है। इन्हीं खास अवसरों में से एक है गणेश चतुर्थी, जिसे पूरे देश में बड़े धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इस साल यह पावन पर्व 27 अगस्त 2025 को मनाया जाएगा। परंपरा के अनुसार, घर-घर में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित की जाती है और दस दिनों तक पूजा, भक्ति और उत्साह का वातावरण बना रहता है।

लेकिन बदलते समय में एक गंभीर समस्या सामने आई है—पर्यावरण प्रदूषण। POP यानी प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियां और उनमें इस्तेमाल होने वाले रासायनिक रंग, नदियों और तालाबों को प्रदूषित कर रहे हैं। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम अपनी आस्था और श्रद्धा को सुरक्षित रखते हुए प्रकृति का भी ध्यान रखें। यही कारण है कि आजकल लोग Eco-Friendly गणेश प्रतिमा को अपनाने लगे हैं।


क्यों ज़रूरी है पर्यावरण-हितैषी गणेश प्रतिमा?

  1. प्रकृति की रक्षा – POP से बनी मूर्तियां पानी में जल्दी नहीं घुलतीं और लंबे समय तक प्रदूषण फैलाती हैं। जबकि मिट्टी और प्राकृतिक रंग से बनी प्रतिमाएं जल्दी घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं।
  2. जल-जीवों की सुरक्षा – जब प्रतिमा पानी में विसर्जित होती है, तो प्राकृतिक पदार्थ आसानी से घुल जाते हैं और जलीय जीवों के लिए हानिकारक नहीं होते।
  3. आसानी से बनाने योग्य – मिट्टी की प्रतिमा घर पर बहुत कम साधनों के साथ बनाई जा सकती है।
  4. बच्चों के लिए शिक्षा – Eco-Friendly प्रतिमा बनाने की प्रक्रिया बच्चों को सिखाती है कि त्योहारों में भी पर्यावरण का ध्यान रखना कितना महत्वपूर्ण है।

घर पर Eco-Friendly गणेश प्रतिमा कैसे बनाएं?

आवश्यक सामग्री:

  • प्राकृतिक गीली मिट्टी या पॉटिंग क्ले
  • पानी
  • नारियल के रेशे या गोंद (आकार को मजबूत बनाने के लिए)
  • हल्दी, चावल का आटा या गेरू जैसे प्राकृतिक रंग
  • पूजा थाली और साफ जगह

बनाने की विधि:

  1. सबसे पहले मिट्टी को पानी मिलाकर नरम और चिकना कर लें।
  2. एक छोटे गोले से शुरुआत करके गणेश जी का पेट, सिर और हाथों का आकार बनाएं।
  3. कान और सूंड का आकार धीरे-धीरे दें। छोटे विवरण निकालने के लिए लकड़ी की छड़ी या चम्मच का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  4. प्रतिमा के सूखने के बाद हल्दी, गेरू या फूलों की पंखुड़ियों से रंग भरें।

यह काम बहुत आसान है और इसमें किसी बड़े कलाकार की जरूरत नहीं। भावना और श्रद्धा ही इस प्रतिमा को खास बना देती है।


कुछ और रचनात्मक और Eco-Friendly आइडियाज

  • बीज वाली प्रतिमा – मिट्टी में तुलसी या फूलों के बीज डालकर प्रतिमा बनाई जाए। विसर्जन के बाद मिट्टी पौधों में बदल जाती है।
  • पेपर मेशे प्रतिमा – पुराने अखबार, आटा और पानी का मिश्रण इस्तेमाल कर हल्की और सुंदर मूर्ति बन सकती है।
  • फूड बेस्ड डेकोरेशन – चावल का आटा, हल्दी और कुमकुम से सजावट करें। ये पूरी तरह से ऑर्गेनिक है।
  • मिनी गणपति – बड़ी प्रतिमाओं की जगह छोटी प्रतिमा बनाएं, जो आसानी से जल में घुल जाए।

सजावट भी रखें प्राकृतिक

गणेश चतुर्थी में केवल प्रतिमा ही नहीं, बल्कि सजावट भी Eco-Friendly होनी चाहिए।

  • प्लास्टिक फूलों की जगह ताजे फूल और पत्तियां इस्तेमाल करें।
  • बिजली की रोशनी की बजाय दिए और मोमबत्तियां जलाएं।
  • थर्मोकोल और प्लास्टिक की सजावट से बचें।
  • रंगोली बनाने के लिए हल्दी, आटा, चावल और फूलों की पंखुड़ियों का उपयोग करें।

समाज को मिलेगा बड़ा संदेश

जब पूरा परिवार और समाज मिलकर घर पर ही Eco-Friendly प्रतिमा बनाते हैं, तो यह केवल एक त्यौहार नहीं रहता, बल्कि एक सकारात्मक संदेश बन जाता है।

  • बच्चे पर्यावरण की रक्षा का महत्व सीखते हैं।
  • महिलाएं, बुजुर्ग और युवा सब मिलकर त्योहार को और खास बना देते हैं।
  • मोहल्ले और समाज में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना विकसित होती है।

निष्कर्ष

गणेश चतुर्थी केवल आस्था का पर्व नहीं है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाता है कि धरती मां की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।
इस वर्ष 2025 में जब हम 27 अगस्त को गणपति बप्पा का स्वागत करें, तो यह संकल्प भी लें कि हम Eco-Friendly प्रतिमा और प्राकृतिक सजावट अपनाएंगे।

मिट्टी से बनी एक छोटी-सी प्रतिमा हमारे त्योहार की भव्यता को तो बढ़ाएगी ही, साथ ही भविष्य की पीढ़ियों को भी एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का तोहफा देगी।
तो क्यों न इस बार अपने बच्चों और परिवार के साथ खुद Easy और Eco-Friendly गणपति बनाकर त्योहार को और खास बनाया जाए?

“गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया!”

Prashant Pathak
Prashant Pathak is a passionate journalist and digital creator who writes about politics, technology, travel, and culture with a clear, human touch. As the editor of The Ayodhya Times, he focuses on bringing real, verified, and people-centered news stories to readers. His goal is to make complex topics easy to understand and connect news with everyday life.