जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की अटकलें तेज़, कांग्रेस बोली – महाभियोग की आशंका या ‘क्रेडिट’ की लड़ाई?

धनखड़ और संसद भवन

नई दिल्ली:

देश की राजनीति में सोमवार को अचानक हलचल मच गई जब खबरें सामने आईं कि भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इसकी अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और सीधे सवाल उठा दिए हैं।


बैठक के बाद क्यों बढ़ीं इस्तीफे की अटकलें?

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने दावा किया कि सोमवार दोपहर 12:30 बजे राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (Business Advisory Committee) की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता खुद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने की। इस अहम बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजीजू समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

जयराम रमेश ने इस बैठक के कुछ ही समय बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने पूछा – “क्या उपराष्ट्रपति ने इस्तीफा दे दिया है? अगर हां, तो इसका पारदर्शी रूप से खुलासा किया जाना चाहिए।” इस पोस्ट के बाद ही मीडिया और राजनीतिक गलियारों में अफवाहों की बाढ़ आ गई।


क्या महाभियोग की आहट से जुड़ा है इस्तीफे का मामला?

कांग्रेस और कुछ विपक्षी दलों का कहना है कि धनखड़ का अचानक इस्तीफा देने की चर्चा कहीं न कहीं महाभियोग प्रस्ताव से जुड़ी हो सकती है। दरअसल, पिछले कुछ समय से संसद के भीतर कई मुद्दों पर सत्ता और विपक्ष के बीच जबरदस्त टकराव चल रहा है।

कांग्रेस का आरोप है कि सरकार संवैधानिक पदों को राजनीतिक हथियार बना रही है और जब विपक्ष उन्हें चुनौती देता है, तो ‘क्रेडिट’ लेने की लड़ाई शुरू हो जाती है।


धनखड़ की चुप्पी और सरकार की प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम पर न तो धनखड़ ने और न ही उपराष्ट्रपति सचिवालय ने कोई आधिकारिक बयान दिया है। सूत्रों के मुताबिक, उपराष्ट्रपति नियमित गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं और उनके इस्तीफे की फिलहाल कोई पुष्टि नहीं हुई है।

सरकार की ओर से भी अब तक कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे इस खबर को लेकर और अधिक रहस्य गहराता जा रहा है।


कौन हैं जगदीप धनखड़?

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनूं ज़िले में हुआ था। एक साधारण किसान परिवार से आने वाले धनखड़ पेशे से वकील रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट भी रह चुके हैं।

उन्होंने 1989 में जनता दल की ओर से चुनाव लड़कर झुंझुनूं से लोकसभा सीट जीती थी। इसके बाद वे चंद्रशेखर सरकार में केंद्रीय मंत्री भी बने। फिर वे भाजपा में शामिल हो गए और 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त हुए।

उनकी साफ़गोई, आक्रामक शैली और कानूनी ज्ञान के लिए वे पहचाने जाते हैं।


धनखड़ के बेटे और परिवार

जगदीप धनखड़ के परिवार की बात करें तो उनकी पत्नी का नाम सुदेश धनखड़ है। उनके एक पुत्र हैं – कमल धनखड़। कमल पेशे से एक प्राइवेट बिज़नेस प्रोफेशनल हैं और सार्वजनिक जीवन से दूर रहते हैं।

धनखड़ का परिवार शुरू से ही निजी जीवन को निजी रखने में विश्वास करता है और विवादों से दूर रहा है। हालांकि उपराष्ट्रपति बनने के बाद मीडिया में उनके बेटे की एक-दो तस्वीरें सामने आई थीं।


महाभियोग की प्रक्रिया क्या है?

अगर किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही करनी हो तो वह संविधान के अनुच्छेद 61 के अंतर्गत की जाती है। इसके लिए पहले राज्यसभा और लोकसभा में प्रस्ताव लाना होता है, फिर बहुमत से उसे पारित किया जाता है।

इस प्रक्रिया में लंबे समय और सशक्त राजनीतिक सहमति की आवश्यकता होती है, जो वर्तमान स्थिति में काफी जटिल दिखाई देती है। ऐसे में सवाल उठता है – क्या वाकई धनखड़ ने इस्तीफा दिया या यह सिर्फ सियासी हवा है?


राजनीतिक विश्लेषण और आगे की राह

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह घटनाक्रम संसद के आगामी मानसून सत्र से पहले विपक्ष की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। धनखड़ अक्सर विपक्ष से तीखे सवाल पूछते रहे हैं और उनका रवैया ‘गैर-निरपेक्ष’ होने का आरोप झेल चुका है।

अगर उपराष्ट्रपति ने वाकई इस्तीफा दिया है तो यह भारतीय लोकतंत्र में एक असाधारण मिसाल होगी।


🔴 क्या यह सिर्फ अफवाह है?

बाजार में ऐसी भी चर्चा है कि यह खबर जानबूझकर विपक्ष की ओर से उड़ाई गई है ताकि सत्ताधारी पक्ष पर दबाव बने और संसद के कामकाज पर असर पड़े। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन पुष्टि किसी की नहीं हो रही।


📌 निष्कर्ष:

जब तक सरकारी पुष्टि नहीं आती, तब तक यह खबर सिर्फ एक ‘Developing Story’ बनी हुई है। लेकिन इसने यह तो साफ कर दिया कि संसद के गलियारों में कुछ बड़ा पक रहा है।


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Prashant Pathak
Prashant Pathak is a passionate journalist and digital creator who writes about politics, technology, travel, and culture with a clear, human touch. As the editor of The Ayodhya Times, he focuses on bringing real, verified, and people-centered news stories to readers. His goal is to make complex topics easy to understand and connect news with everyday life.