प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया कि वे इस साल के आसियान शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे
26 से 28 अक्टूबर 2025 को मलेशिया के कुआलालंपुर में 47वां आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित होने जा रहा है। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रूप से शामिल न होने और वर्चुअल माध्यम से सम्मेलन में भाग लेने का निर्णय लिया है। उन्होंने इसका कारण देश में दीपावली महापर्व और अन्य व्यस्त कार्यक्रमों को बताया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में कहा कि वे वर्चुअल रूप से सम्मेलन में शामिल होकर भारत-आसियान साझेदारी को और मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहीम ने भी इसकी पुष्टि की और बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें पहले से सूचित किया था कि वे दीपावली उत्सव और देश के कार्यों के कारण व्यक्तिगत रूप से सम्मेलन में उपस्थित नहीं हो पाएंगे। इसके बावजूद, मोदी जी की वर्चुअल भागीदारी यह सुनिश्चित करेगी कि भारत की नीतियों और दृष्टिकोण को सम्मेलन में प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया जा सके। यह कदम यह भी दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर अपनी भागीदारी बनाए रखने के लिए समय और परिस्थितियों के अनुसार लचीला दृष्टिकोण अपनाता है। >
विदेश मंत्री एस. जयशंकर मलेशिया जाकर भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे और सम्मेलन में पूरी सक्रियता के साथ भाग लेंगे
प्रधानमंत्री मोदी के वर्चुअल रूप से भाग लेने के निर्णय के बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर मलेशिया जाएंगे और भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। वे 27 अक्टूबर को कुआलालंपुर में आयोजित होने वाले ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। विदेश मंत्रालय ने बताया कि जयशंकर सम्मेलन के सभी महत्वपूर्ण सत्रों में भाग लेंगे और भारत की नीतियों और दृष्टिकोणों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेंगे। विदेश मंत्री की उपस्थिति से यह सुनिश्चित होगा कि भारत की सक्रिय भागीदारी और क्षेत्रीय सहयोग की प्रतिबद्धता सभी देशों को दिखाई दे। जयशंकर सम्मेलन में व्यापार, निवेश, सुरक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े विषयों पर चर्चा करेंगे और भारत की स्थिति को प्रभावी रूप से साझा करेंगे।
इस वर्ष के आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में उठाए जाने वाले मुख्य मुद्दों और चर्चाओं पर पूरी जानकारी
इस वर्ष के आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने, क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने, समुद्री सुरक्षा और साइबर सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा होगी। इसके साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के मुद्दे भी प्रमुख रूप से उठाए जाएंगे। सम्मेलन का उद्देश्य भारत और आसियान देशों के बीच साझेदारी को और मजबूत करना और सहयोग को बढ़ावा देना है। भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के तहत यह सम्मेलन विशेष महत्व रखता है। यह नीति भारत की रणनीतिक और आर्थिक दृष्टि को क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से मजबूती देती है। सम्मेलन दोनों पक्षों को साझा हितों पर चर्चा करने और भविष्य की रणनीतियों पर काम करने का अवसर देता है।
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच संभावित द्विपक्षीय बैठक नहीं होने की जानकारी

शुरुआत में यह अनुमान लगाया गया था कि शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच द्विपक्षीय बैठक हो सकती है। लेकिन मोदी जी के वर्चुअल भागीदारी के कारण यह संभावना समाप्त हो गई है। इसका मतलब है कि इस बार दोनों नेताओं के बीच सीधे बातचीत नहीं होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्चुअल भागीदारी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि भारत का दृष्टिकोण और नीतियां सम्मेलन में साझा हों। इस दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर मलेशिया में उपस्थित रहकर भारत की सक्रिय भागीदारी और सहयोग की प्रतिबद्धता को दिखाएंगे।
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इसका वर्तमान महत्व
आसियान-भारत शिखर सम्मेलन भारत के लिए व्यापार, निवेश, सुरक्षा और साझा विकास को मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मलेशिया में उपस्थिति यह दर्शाती है कि भारत क्षेत्रीय मंचों पर पूरी तरह सक्रिय है और साझेदार देशों के साथ सहयोग को प्राथमिकता देता है। प्रधानमंत्री मोदी का वर्चुअल रूप से सम्मिलित होना और जयशंकर का प्रतिनिधित्व यह दिखाता है कि भारत समय और परिस्थितियों के अनुसार अपनी भागीदारी सुनिश्चित करता है। इस सम्मेलन से भारत-आसियान संबंध मजबूत होंगे और भविष्य में द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग के नए अवसर उत्पन्न होंगे। इस वर्ष के सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना, साझा विकास को बढ़ावा देना और व्यापार एवं निवेश के अवसरों को मजबूत करना है। भारत इस मंच के माध्यम से अपने क्षेत्रीय नेतृत्व और वैश्विक भूमिका को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करेगा।

