कैलगरी, 17 जून 2025 – प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कनाडा की यात्रा की शुरुआत की, जो उनकी दस वर्षों में पहली यात्रा है, और वे G7 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। यह भारत-आशियाई संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण घटनाओं को देखते हुए।
🕊️ कनाडा में द्विपक्षीय वार्ताओं का एजेंडा
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के निमंत्रण पर मोदी जी सम्मेलन में ‘आउटरीच सेशन’ में आदरणीय अतिथि की भूमिका में शामिल होंगे, जहां वे निम्नलिखित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करेंगे :
- ऊर्जा सुरक्षा
- तकनीक एवं नवाचार (विशेषतः AI‑energy nexus और क्वांटम तकनीक)
- डिजिटल रूपांतरण
- वैश्विक साझेदारी विशेषकर ग्लोबल साउथ के मुद्दों को समर्थन
द्विपक्षीय बैठकों की रूपरेखा
23 घंटे की सीमित यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी कई अहम नेताओं से भेंट करेंगे
- कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी से भारत-कनाडा संबंधों को ‘रीसेट’ करने पर विमर्श
- जर्मनी, इटली, यूक्रेन तथा अन्य अतिथि देशों के नेताओं से द्विपक्षीय वार्ताएं
- ऊर्जा, सुरक्षा, सेवा व्यापार, तकनीक, और निवेश पर ठोस समझौतों की संभावना
भारत–कनाडा व्यापार:
2024 में भारत और कनाडा के बीच माल व्यापार USD 8.6 अरब और सेवा व्यापार USD 14.3 अरब था, जो दोनों राष्ट्रों की आर्थिक सहकार्य को दर्शाता है खासकर कनाडाई पोटाश (उर्वरक) भारत के लिए महत्वपूर्ण है, जबकि भारत हीरे, जेम्स, कपड़ा और फार्मास्यूटिकल्स समेत अन्य माल और सेवाएँ निर्यात करता है ।
लोकतांत्रिक पुनर्मिलन: भारत-कनाडा सम्बन्ध
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में 2023 में खटास आई थी, जब भारत द्वारा घातक हमले में कथित तौर पर शामिल होने के आरोप लगे। इसके परिणामस्वरूप डिप्लोमेट्स को निकाला गया, लेकिन बाद में कार्नी सरकार ने मोदी को G7 में आमंत्रित कर दूरसंचार सुधार की कोशिश की ।
- दोनों पक्ष बंधुत्व, विश्वास और साझा मूल्यों जैसे मानवाधिकार व कानून-शासन के आदर्शों पर लेन-देन को पुनर्जीवित करने के इच्छुक हैं ।
वैश्विक मुद्दे और G7 में वैश्विक साझेदारियाँ
मोदी जी की भागीदारी उन चुनौतियों को सामने ला रही है, जो G7 के एजेंडे पर शामिल हैं:
1. मध्य पूर्व की पीड़ाएँ
– इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच G7 ने जोर देकर कहा कि “ईरान को परमाणु हथियार नहीं होंगे” और सभी पक्षों से त्वरित शत्रुता रोकने का आग्रह किया ।
2. रूस–यूक्रेन युद्ध
– यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की सम्मेलन में भाईचारे की वकालत करेंगे। G7 ने रूस के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर विचार विमर्श किया ।
3. व्यापार और शिपिंग तनाव
– अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ्स से G7 की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव पड़ा। सदस्यों ने टैरिफ नीति को घातक बताया और व्यापार समन्वय की अपील की ।
4. ऊर्जा और तकनीकी क्रांति
– AI‑ऊर्जा और क्वांटम तकनीक के क्षेत्र में सहयोग G7 के माध्यम से ग्लोबल साउथ देशों की लाभकारी साझेदारी का लक्ष्य है, जिसमें भारत की भागीदारी प्रमुख है ।
भारत की भूमिका: “ग्लोबल साउथ” की आवाज़
प्रधानमंत्री मोदी ने G7 के मंच से कहा है कि “भारत ग्लोबल साउथ की आवाज़ उठाएगा”, जो अंतरराष्ट्रीय मंचों में नए सहयोग और दृष्टिकोण की संभावना बढ़ाता है ।
उनकी भागीदारी G7 सदस्यों को विकसित और विकासशील देशों के बीच संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
सुरक्षा और विधिक सहयोग
– कनाडा और भारत ने आतंकवाद-विरोधी प्रयासों के लिए खुफिया साझेदारी शुरू करने की योजना बनाई है, जो कि 2023 में Nijjar मामले के संकटों के बाद फिर से शुरू हो रही है ।
इस कदम से विधिक, गृह और बाह्य सुरक्षा पर गहरे द्विपक्षीय सहयोग की नींव रखी जा रही है।
शिखर की चुनौतियाँ
- टैरिफ्स मुद्दा: G7 साथी टैरिफ्स पर अमेरिका से पुन शासन की अपेक्षा रखते हैं, लेकिन U.S. का रुख अलग है ।
- मध्य पूर्व की हिंसा: इजराइल-ईरान संघर्ष G7 की एकता को परख रहा है, जबकि ट्रम्प ने इस पर अलग रुख अपनाया ।
- कनाडा के आक्रोशित सिख समुदाय: Nijjar मामले को लेकर G7 में मोदी के आमंत्रण पर विविध प्रतिक्रियाएं हैं – आर्थिक लाभ बनाम मानवीय मुद्दा ।
निष्कर्ष: भारत का सशक्त वैश्विक नजरिया
प्रधानमंत्री मोदी की यह G7 यात्रा न केवल भारत‑कनाडा संबंधों को नया आधार देती है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच जैसे G7 में भारत की नैतिक, तकनीकी और आर्थिक भूमिका को मजबूत करती है।
उनकी भागीदारी से यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत रणनीतिक रूप से यह मंच औद्योगिक और डिजिटल बदलाव में सक्रिय रूप से सहयोग कर सकता है।
विश्लेषण:
- राजनयिक रिस्टार्ट: Carney द्वारा बुलावा भारत-Canada रिश्तों में एक नई शुरुआत संकेत देता है। Nijjar विवाद के बावजूद सहयोग एक सकारात्मक पहल है।
- वैश्विक एजेंडा में भारत: ऊर्जा, AI, क्वांटम – महाद्वीपीय साझेदारी का पुनर्सृजन G7 में भारत की दृश्यता बढ़ा रहा है ।
- वैश्विक सरोकार: रूस‑यूक्रेन, मध्यपूर्व संघर्ष, ग्लोबल व्यापार – G7 में ये प्रमुख विषय हैं, जहाँ भारत एक स्थिर और संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है ।