🎾 राधिका यादव हत्याकांड: टेनिस कोच बेटी की सफलता से तिलमिलाया पिता, बहस के तीन दिन बाद मारी गोलियां

गुरुग्राम में 25 वर्षीय उभरती हुई टेनिस खिलाड़ी और कोच राधिका यादव की बेरहमी से हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस निर्मम वारदात को किसी और ने नहीं, बल्कि खुद उसके पिता ने अंजाम दिया। शुरुआती जांच और मीडिया रिपोर्ट्स से जो सच्चाई सामने आई है, वो न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों और समाज में गहराई से मौजूद पितृसत्तात्मक सोच पर भी सवाल उठाती है।


📍 घटना कब और कहां हुई

यह दिल दहला देने वाली घटना 10 जुलाई 2025 की सुबह करीब 10:30 बजे की है। गुरुग्राम के सेक्टर 57 स्थित राधिका के आवास पर यह वारदात उस वक्त हुई जब राधिका रसोई में नाश्ता बना रही थीं। उसी दौरान, उनके पिता दीपक यादव घर में दाखिल हुए और लगातार पांच राउंड फायरिंग कर दी, जिनमें से चार गोलियां सीधा राधिका की छाती और पीठ में लगीं।


😢 घरवालों की प्रतिक्रिया और घटनास्थल का दृश्य

राधिका की मां ममता यादव उस वक्त कमरे में थीं। उन्होंने बताया कि उन्हें शुरुआत में ऐसा लगा जैसे प्रेशर कुकर की सीटी बज रही हो, लेकिन जब उनका भतीजा पियूष और राधिका का चाचा कुलदीप वहां पहुंचे, तब उन्हें एहसास हुआ कि राधिका खून से लथपथ ज़मीन पर गिरी हुई है। राधिका को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।


🔍 हत्या की वजह: बेटी की सफलता से पिता परेशान

पुलिस की जांच में सामने आया कि राधिका की अपने पिता से अकसर कहासुनी होती थी। राधिका ने खुद की टेनिस अकादमी शुरू की थी, जो बहुत अच्छे से चल रही थी। वहीं दूसरी ओर, पिता दीपक यादव को यह बात रास नहीं आ रही थी कि उनकी बेटी की कमाई से घर चल रहा है। उन्होंने कई बार राधिका से अकादमी बंद करने को कहा था, लेकिन वह अपने निर्णय पर अडिग थीं।

दीपक पर मोहल्ले के लोगों द्वारा ताने भी मारे जा रहे थे कि “घर बेटी की कमाई से चल रहा है”, जो उनके अहं को ठेस पहुंचा रहे थे। पुलिस का कहना है कि दीपक ने यह सब तीन दिन तक भीतर ही भीतर सहा, फिर एक दिन गुस्से में आकर ये भयावह कदम उठा लिया।


⚖️ पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने खोले चौंकाने वाले राज़

शुरुआती रिपोर्ट में कहा गया था कि राधिका की पीठ में तीन गोलियां लगी थीं, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बताया कि चार गोलियां सीधे उसकी छाती में मारी गईं, जो हत्या के इरादे की गंभीरता को दर्शाती हैं। इससे यह भी साबित होता है कि वारदात पूरी योजना के तहत अंजाम दी गई थी।


👮‍♂️ पुलिस कार्रवाई और आरोपी की गिरफ़्तारी

घटना के कुछ ही घंटों के भीतर गुरुग्राम पुलिस ने आरोपी पिता दीपक यादव को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में दीपक ने अपराध स्वीकार किया और बताया कि वह मानसिक रूप से दबाव में था और समाज में अपनी प्रतिष्ठा को लेकर चिंतित था। उसने बताया कि वह खुद आत्महत्या भी करना चाहता था, लेकिन अंत में राधिका की हत्या कर दी।


🏅 राधिका: एक होनहार खिलाड़ी और प्रेरणा

राधिका सिर्फ एक टेनिस खिलाड़ी नहीं, बल्कि युवाओं के लिए एक मिसाल थीं। उन्होंने चोट लगने के बाद भी हार नहीं मानी और एक टेनिस अकादमी की शुरुआत की, जहां वह बच्चों को मुफ्त में ट्रेनिंग देती थीं। उनके स्टूडेंट्स और आसपास के लोग उन्हें एक निडर, मेहनती और दृढ़ निश्चयी लड़की के रूप में जानते थे।


💔 समाज के लिए एक चेतावनी

यह हत्या सिर्फ एक घरेलू हिंसा नहीं, बल्कि महिलाओं की स्वतंत्रता, आर्थिक आत्मनिर्भरता, और पुरुष अहंकार की टकराहट का प्रतीक है। एक बेटी जो अपने दम पर आगे बढ़ रही थी, उसे उसी के पिता ने इसलिए मार डाला क्योंकि वह उसकी आज़ादी को पचा नहीं पा रहा था।


📢 निष्कर्ष: सवाल समाज से

राधिका की मौत एक त्रासदी से कहीं ज्यादा है। यह हमें सोचने पर मजबूर करती है कि:

  • क्या बेटियों की सफलता अब भी घर के कुछ पुरुषों को खलती है?
  • क्या हम मानसिक स्वास्थ्य, गुस्से और दबावों को अब भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं?
  • क्या बेटी के आत्मनिर्भर बनने पर भी उसे अपनी जान की कीमत चुकानी पड़ेगी?

यह घटना सिर्फ राधिका की नहीं, हर उस लड़की की कहानी है जो उड़ान भरना चाहती है लेकिन पिंजरे में रखी जाती है।

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