नई दिल्ली, 20 जुलाई 2025
कल यानी 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होने जा रहा है। लेकिन असल सियासी माहौल तो रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में ही नजर आ गया, जहां विपक्षी दलों ने सरकार को कई अहम मुद्दों पर घेरा और साफ कर दिया कि ये सत्र बेहद हंगामेदार रहने वाला है।
इस अहम बैठक में 51 राजनीतिक दलों में से 40 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सरकार की ओर से बैठक की अध्यक्षता राज्यसभा में सदन के नेता और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा ने की। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी बैठक में मौजूद रहे।
विपक्ष ने किन मुद्दों पर सरकार को घेरा?
बैठक के दौरान विपक्ष ने तीन बड़े मुद्दों पर केंद्र सरकार से सवाल किए:
🔺 पहलगाम आतंकी हमला – हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले को लेकर विपक्ष ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
🔺 ऑपरेशन सिंदूर का रोकना – इस ऑपरेशन को बिना स्पष्ट कारण बीच में ही बंद कर देने पर विपक्ष ने नाराज़गी जताई।
🔺 डोनाल्ड ट्रंप का बयान – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाक संबंधों पर दिए गए बयान को लेकर भी सरकार से प्रतिक्रिया मांगी गई।
विपक्ष की मांग: प्रधानमंत्री खुद आएं सदन में
कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके, आरजेडी और अन्य दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संसद में इन मुद्दों पर जवाब देने की मांग की। विपक्ष का कहना है कि केवल मंत्रालयों के जवाबों से बात नहीं बनेगी — जनता को सीधे प्रधानमंत्री से जवाब चाहिए।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री चुनावी रैलियों और सरकारी कार्यक्रमों में तो अक्सर नजर आते हैं, लेकिन जब संसद की बात आती है, तो वे अनुपस्थित रहते हैं। ऐसे में उनकी उपस्थिति इस बार ज़रूरी है।
सरकार का जवाब: “हर बार पीएम को मत घसीटिए”
बैठक के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रेस से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री सदन में अक्सर उपस्थित रहते हैं और केवल विदेश यात्राओं या किसी विशेष कारण से ही उनकी अनुपस्थिति होती है।
उन्होंने कहा, “हर बार प्रधानमंत्री को संसद में लाना जरूरी नहीं है। संबंधित मंत्री पूरी जिम्मेदारी से जवाब देते हैं। संसद का सुचारु संचालन सिर्फ सरकार का नहीं, विपक्ष का भी दायित्व है।”
मानसून सत्र में क्या रहेगा खास?
सरकार इस बार संसद में कई अहम विधेयक लाने की तैयारी में है, जिनमें प्रमुख हैं:
✅ यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का ड्राफ्ट
✅ नए कृषि कानूनों में संशोधन
✅ डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन बिल
✅ नए श्रम कानूनों का क्रियान्वयन
इनके अलावा सरकार आर्थिक स्थिति, महंगाई, रोजगार और विदेश नीति जैसे मसलों पर भी चर्चा करना चाहती है।
क्या होगा इस बार भी हंगामा?
पिछले कुछ सत्रों की तरह इस बार भी संसद में जोरदार बहस और टकराव की पूरी संभावना है। विपक्ष का तेवर आक्रामक है और सरकार अपने विधायी एजेंडे को किसी भी हाल में आगे बढ़ाना चाहती है। अंततः, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सत्र जनता की समस्याओं का समाधान लेकर आता है या नहीं।अब देखना यह होगा कि क्या इस बार संसद का मानसून सत्र कोई ठोस परिणाम देगा या केवल आरोप-प्रत्यारोप में ही बीत जाएगा?
हालांकि, जनता की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि क्या ये सत्र केवल राजनीतिक रस्साकशी तक ही सीमित रहेगा या फिर इससे कोई ठोस समाधान भी निकलकर सामने आएगा।
🔚 निष्कर्ष
संसद का मानसून सत्र 2025 अभी शुरू भी नहीं हुआ है और पहले ही विपक्ष व सरकार के बीच माहौल गर्मा गया है। ये सत्र सिर्फ राजनीतिक दलों की परीक्षा नहीं है, बल्कि यह तय करेगा कि देश के अहम मुद्दों पर ठोस फैसले लिए जाएंगे या नहीं।
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